धमतरी जिले के परस्तराई गांव में हाल के वर्षों में कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। यहां के किसानों ने पारंपरिक गेंहू की खेती को छोड़कर रबी सीजन में दलहन और तिलहन की खेती करना शुरू किया। यह परिवर्तन केवल कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि जल संरक्षण और आर्थिक विकास के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
दलहन और तिलहन की खेती का महत्व
रबी सीजन में किसानों द्वारा गेंहू की जगह दलहन और तिलहन की खेती करने का निर्णय एक दूरदर्शी कदम साबित हुआ है। पारंपरिक फसलों के मुकाबले दलहन और तिलहन कम पानी में उगाई जा सकती हैं, जिससे जल संसाधनों की बचत होती है। धमतरी जैसे क्षेत्र में जहां जल स्तर कम हो रहा है और सूखा एक बड़ी चुनौती बन चुका है, वहां दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देना एक स्मार्ट रणनीति साबित हो रही है।
दलहन और तिलहन की खेती से न केवल जल का संरक्षण हो रहा है, बल्कि इन फसलों के माध्यम से किसानों को उच्चतम उत्पादन और मुनाफा भी मिल रहा है। इस बदलाव ने किसानों की जीवनशैली को भी एक नया मोड़ दिया है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं।
आर्थिक लाभ और लाभकारी परिणाम
परस्तराई गांव के किसानों ने दलहन और तिलहन की खेती शुरू कर के इस क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया। इस पहल से किसानों को ₹2,641 करोड़ का लाभ हुआ है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि किस प्रकार से एक रणनीतिक बदलाव किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है। दलहन और तिलहन की फसलें न केवल घरेलू खाद्य आपूर्ति को मजबूती देती हैं, बल्कि इनकी व्यापारिक संभावनाएं भी अधिक होती हैं।
इसके अलावा, इस प्रकार की खेती से मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है, क्योंकि दलहन पौधों के माध्यम से नाइट्रोजन की मात्रा में सुधार होता है, जो कि अन्य फसलों के लिए फायदेमंद होता है।
जल संकट का समाधान
धमतरी जिले में जल संकट एक प्रमुख समस्या बन चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में सूखा और जल स्तर में गिरावट ने खेती को कठिन बना दिया था। लेकिन जब से किसानों ने दलहन और तिलहन की खेती को प्राथमिकता देना शुरू किया है, पानी की खपत में कमी आई है। दलहन और तिलहन के पौधों को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, और इससे सिंचाई पर खर्च कम हुआ है।
इसके साथ ही, इन फसलों के माध्यम से मृदा की गुणवत्ता भी बेहतर हो रही है, जिससे आने वाले समय में अन्य फसलों के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी। इस प्रकार से, जल संकट का समाधान इस खेती के माध्यम से हो रहा है।
स्थानीय समुदाय पर प्रभाव
यह बदलाव न केवल किसानों, बल्कि पूरे समुदाय के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। जब किसान आर्थिक रूप से सशक्त होते हैं, तो उनका जीवन स्तर भी ऊंचा होता है। वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और अन्य आवश्यकताओं को पूरा कर पाते हैं। इसके अलावा, इस कृषि परिवर्तन के चलते धमतरी के अन्य गांवों में भी इस मॉडल को अपनाने की प्रेरणा मिली है, और धीरे-धीरे यह पूरी क्षेत्र में फैल रहा है।
निष्कर्ष
धमतरी जिले के परस्तराई गांव में गेंहू की जगह दलहन और तिलहन की खेती की शुरुआत ने न केवल कृषि क्षेत्र में बदलाव की दिशा दिखायी है, बल्कि जल संकट और आर्थिक विकास के मुद्दों को भी सुलझाने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह पहल एक सकारात्मक बदलाव का प्रतीक है, जो अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक आदर्श बन सकती है। किसानों की मेहनत और विज्ञान की मदद से इस प्रकार के कृषि परिवर्तन पूरे देश में लागू किए जा सकते हैं, जिससे न केवल आर्थिक समृद्धि आएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
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